पीटीआई: इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड से जुड़े लोगों के मुताबिक ‘Make in India’ के आगमन से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक व्यापार के स्तर में वृद्धि हुई है। यह स्कीम न केवल देश के अर्थव्यवस्था को सुधार रही है, बल्कि लोगों को रोजगार का मौका भी प्रदान कर रही है और अन्य देशों के साथ व्यापार के लिए भारत का नाम बढ़ा रही है।
इलेक्ट्रॉनिक व्यापार और संबंधित उद्योगों के संघों जैसे Central Radio Electronic Merchant Association और All India Electronic Association ने इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है और इन एसोसिएशनों के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक व्यापार को बढ़ावा दिया गया है। सन् 1956 में स्थापित हुई Central Radio Electronic Merchant Association और सन् 1936 में स्थापित हुई All India Electronic Association दोनों ही भारतीय इलेक्ट्रॉनिक व्यापार के संबंधित उद्योगों में सेवा करने वाले संगठन हैं।
ये संगठन हिंदुस्तान और दिल्ली NCR के अन्य एसोसिएशनों को ऊपर से संचालित कर रहे हैं और इलेक्ट्रॉनिक व्यापार की शुरुआत करने में भी सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। पांच अगस्त को रशियन कल्चर सेंटर (फिरोज़शाह रोड) में आयोजित Annual General Meeting में इलेक्ट्रॉनिक व्यापार के सभी संबंधित व्यक्ति शामिल हुए। यह आयोजन लगभग देढ़-दो घंटे के लिए चला, जिसमें कई बड़े-बड़े उद्योगपति, व्यापारी, निर्यातक और आयातक भी शामिल थे।
इस आयोजन के माध्यम से ‘Make in India’ को सम्मानित करने का प्रयास किया गया था और बेहतर कार्य कर रहे बिजनेसमैन्स को एसोसिएशन की ओर से सम्मानित किया गया। आपको बता दें कि ‘Make in India’ अभियान के तहत हिंदुस्तान को हज़ारों-करोड़ों का रिवेन्यू हुआ है, क्योंकि पहले भारत का अधिकतर Import चीन से होता था, लेकिन इस अभियान के बाद देश के कई कोनों में ‘Make in India’ की इकाइयां स्थापित होने से भारत की विदेशी मुद्रा रकम बढ़ गई है।
इसके अलावा, यह अभियान नए रोजगार के अवसर प्रदान करने में भी सहायक साबित हुआ है। मेक इन इंडिया के तहत काम करने के बाद, भारत अपने देश के कोने-कोने में सामान पहुंचाने के साथ-साथ भूटान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों में भी अपना सामान Export करने लगा है।
जिन लोगों ने इस सफलता को मुमकिन बनाया है, उन्हें सम्मानित किया गया और इस सफलता का पैगाम देश के लोगों तक पहुंचाने के लिए नेताओं और प्रधानमंत्री जी तक भी इस संगठन के द्वारा ये जानकारी पहुंचाई गई। एसोसिएशन का मानना है कि इससे न केवल देश का विकास होगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा और भारत का नाम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ऊंचाईयों तक पहुंचेगा।